NEELAM GUPTA

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Dec-2021 सबसे अच्छा रिश्ता

बहुत अच्छा रिश्ता।

आंटी जी आप।

नमस्ते। आइये कैसे हो आप ।

मै अच्छी हूँ। तुम्हारे मम्मी पापा से बात करनी है।

आप बैठिए । मैं बुलाती हूँ।

नमस्कार भाई साहब और भाभी जी ।

नमस्कार जी।

कहिए।क्या बात करनी है।

वर्मा जी के लड़के रोहित का रिश्ता आया है ।सोनी के लिए।बहुत स्मार्ट भी है अच्छा खानदानी घर है ।
बहुत खाते पीते परिवार से है।बड़ी किस्मत वाली होगी वह लडकी जो इस घर जाएँगी।

बेटी इधर आओ।

आप इसी से पुछ लो।

हाँ बेटा बहुत अच्छा रिश्ता है।

कहो तो मिलने के लिए हाँ कर दूँ बेटा।

आंटी जी एक तो मैं बेटा नहीं बेटी हूँ। बस ये बता दो वह कमाता कितना है।

अरे कमाई का क्या है सब उसी का तो है आखिर इकलौता बेटा है।किस बात की कमी नहीं होने वाली है।

और स्वभाव में कैसा है।

अरे स्वभाव का क्या है इकलौता है पैसे की कमी नहीं है और उम्र भी ऐसी है इसलिए कभी कभार बहक जाता है लेकिन जब शादी हो जाएगी वह आदत भी ठीक हो जाएंगी।

और कुछ पूछना है बेटी।

हाँ आंटी जी पढ़ाई कितनी की है ।

अरे उसे ज्यादा पढ़ाई की क्या जरूरत है। उसे कोई सा किसी की नौकरी बजानी है । और तुम्हारी जैसी पढ़ी लिखी लड़की इसलिए ही तो वह चाह रहे है कि आगे तुम सम्भाल लोगी।वैसे तुम्हें भी काम करने की कोई जरूरत नहीं है। ठाठ से रहोगी ।वहाँ रानी बनकर बस एक बार हाँ तो कह दो ।

ओहो तो आंटी आप की नज़र में पैसा ही सब कुछ होता है। एक इंसान का धर्म ईमान कर्म सब पैसे से तोल दिया आपने तो ।

यदि मैं भी ऐसी होती तो क्या वह मुझ से शादी के लिए हाँ कहता और यदि वह पढ़ा लिखा होता तो क्या मुझे कम पढ़ाई में अपनाता।

आपको उसमें क्या अच्छाई नजर आई ।जो आप मेरे लिए ये रिश्ता लेकर आए ।यदि वह अपनी मेहनत से कमाता तो ठीक था। मैं उससे शादी करने जा रही हूँ ना की परिवार के रुपयों पैसों से। मुझे बहुत अधिक नही चाहिए ।लेकिन सबकी नजरों में सम्मान चाहिए।

और बिगड़ी हुई आदतें शादी के बाद सुधर ही जाएगी। इसकी आप गारंटी लेते हो।नही तो मुझे बताओ ।वह नहीं सुधरा तो मेरा सारा जीवन तो इन्ही  झंझटों में फस कर रह जाएगा।

और ऊपर से पढ़ाई भी अच्छी तरह से नहीं की है। यदि कल को परिवार पर कोई परेशानी आई तो क्या वह बाहर जाकर कुछ कमा सकता है।मैं अकेले कितना सम्भाल लूँगी। वही दिन रात का झगड़ा।

आंटी सूरत में इंसान उन्नीस बीस चल सकता है। लेकिन आदत पढाई और निकम्मे पन में नहीं। जिंदगी कोई कार्टून फिल्म तो नहीं जो इंटरटेनमेंट के लिए जीनी है।

यदि आपकी नजरों में मेरे लिए। इस तरह का कोई रिश्ता हो तो जरूर बताएं।

ओहो आजकल बच्चे भी।बस अपनी अपनी चलाते है। किसी से कोई सरोकार नहीं।उह और रिश्ते बहुत है।

तभी सोनी के पापा बोल उठे शाबाश बेटी ।हमें अपनी परवरिश पर नाज़ है ।जो उसने धन को अहमियत ना देकर अच्छाइयों पर ध्यान दिया।

नीलम गुप्ता नजरिया दिल्ली


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6 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

03-Dec-2021 12:16 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

03-Dec-2021 01:41 AM

बहुत खूबसूरत कहानी

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Raghuveer Sharma

03-Dec-2021 12:03 AM

nice one

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